फिल्म ‘सुन सुन मया के धुन’ के निर्माता, निर्देशक और लेखक ज्ञानेश हरदेल से cgfilm.in की खास बातचीत
पूरी टीम अच्छी हो तो हर जिम्मेदारी आसान हो जाती है : ज्ञानेश हरदेल
एकान्त चौहान। छत्तीसगढ़ी फिल्म के दर्शकों को एक और फिल्म सुन सुन मया के धुन 17 फरवरी देखने को मिलेगी। फिल्म शुद्ध पारिवारिक होने के साथ-साथ इसमें आपको बहुत कुछ नयापन देखने को मिलेगा। इसके संवाद और प्रस्तुतिकरण दर्शकों पर एक अलग ही छाप छोड़ेंगे। इसके अलावा इस फिल्म में दर्शकों को कॉमेडी का भरपूर डोज भी मिलेगा। फिल्म में कुल 6 गाने हैं, जो काफी कर्णप्रिय हैं। फिल्म के गीतकार आरके और सुनील सोनी हैं। संगीत भी सुनील सोनी ने ही दिया है। फिल्म के कलाकारों की बात करें तो इसमें लीड रोल में ज्ञानेश हरदेल होंगे। इसके अलावा अन्य कलाकारों में देवेन्द्र साहू, मोनिका शर्मा, आभा देवदास, रजनीश झांझी, नकुल महेलवार, अंजली सिंह चौहान, सरला सेन, उर्वशी साहू, कॉमेडी किंग संतोष निषाद (बोचकू), राजू पांडेय, रज्जू चंद्रवंशी, रामकुमार चौहान आदि होंगे। फिल्म के हीरो, निर्माता, निर्देशक और लेखक ज्ञानेश हरदेल से सीजीफिल्म.इन ने खास बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के कुछ अंश-
एकान्त चौहान : आपने अपना फिल्मी सफर कब से शुरू किया?
ज्ञानेश हरदेल : मैने अपना फिल्मी सफऱ मार्च 2019 से शुरू किया। जब मैं शिर्डी से वापस आ रहा था उस समय से ही मेरे दिमाग में चल रहा था कि मुझे छत्तीसगढ़ी फिल्म करना है।
एकान्त चौहान : फिल्म लाईन में आने से पहले आप क्या करते थे?
ज्ञानेश हरदेल : मैं B.E. Mechanical, RIT रायपुर से किया हूँ और Project Management में MBA, निरमा यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद से किया हूँ। मैने अपने Career की शुरुआत साल 2004 से Electro Therm India Ltd. गुजरात से किया। उसके बाद मैने मुम्बई, हैदराबाद, दुर्गापुर, सतना और आखिर में मैहर के KGS सीमेंट में साल 2018 में AGM के पद से इस्तीफ़ा दिया।और उसके बाद से मैंने Bussiness की शुरुआत की उसमे से एक Chhollywood Cinema भी है।
एकान्त चौहान : फिल्म सुन सुन मया के धुन के बारे में बताइए?
ज्ञानेश हरदेल : सुन सुन मया के धुन साफ़-सुथरी पारिवारिक फिल्म है जिसमें आपको एक से बढ़कर एक गाने सुनने को मिलेंगे और शुरुआत से लेकर अंत तक हर जग़ह कॉमेडी का तड़का है। हर वर्ग और हर उम्र के लोगों के लिए ये फिल्म है जिसमें हर एक व्यक्ति अपने आप को इसके पात्रों के चरित्र का हिस्सा पाएगा जैसे सुन्दर भाई, बिरजू भाई इत्यादि। एक लाइन में बोलूँ तो ये फिल्म पैसा वसूल फिल्म है। वहीं दूसरी ओर फिल्म के सभी गाने अलग -अलग स्वाद के हैं। कॉमेडी का लेवल भी अलग ही है। और ये फिल्म छत्तीसगढ़ी दर्शक और हिंदी भाषी दर्शकों, दोनों का मन लुभायेगा और सबसे अलग चीज़ ये है कि इस मूवी की स्टोरी सबसे अलग है और हर एक व्यक्ति की कहानी है जो हमारी जि़ंदगी के इर्द-गिर्द की है पर इस पर हमारा ध्यान नही जाता। और मैं पूरे विश्वास के साथ कहता हूँ कि ऐसी मूवी छत्तीसगढ़ में पहली बार आ रही है।
एकान्त चौहान : सुन सुन मया के धुन के बजट और कलाकारों के चयन को लेकर आपको क्या-क्या दिक्कते आई?
ज्ञानेश हरदेल : सुन-सुन मया के धुन एक बड़े बजट की मूवी है। इसमें गाने, पोस्ट प्रोडक्शन, ग्राफिक्स डिज़ाइन और VFX में उच्च स्तर का काम हुआ है जो आपको मूवी देखने से ही पता चल जाएगा। दूसरी चीज़ इस मूवी में ऑन स्क्रीन आपको 50 से ज़्यादा पात्र मिलेंगे जो इस मूवी की भव्यता को दिखाता है। और रही बात कलाकारों के चयन की तो इसमें कोई भी दिक्कत नहीं आई। हमने पात्र के चरित्र के हिसाब से ही कलाकारों का चयन किया और हर एक कलाकार अपने पात्र को बख़ूबी निभाया है। हाँ, इसमें मैंने कुछ नए और अच्छे कलाकारों को भी मौक़ा दिया है जिन्होंने अपना 100 फीसदी आउटपुट दिया है।
एकान्त चौहान : आपकी आने वाली और फिल्में?
ज्ञानेश हरदेल : मेरी ख़ुद की प्रोडक्शन हाउस सानिध्य फि़ल्म प्रोडक्शन से दो फिल्में आने वाली है पहला ‘डोली सजा के रखबे’ और दूसरा ‘शिवा-द ब्रांड’ जो सतीश देवांगन जी के डायरेक्शन में होगी।
एकान्त चौहान : फिल्म की सफलता में गाने और संगीत का कितना योगदान रहता है, आपकी नजर में?
ज्ञानेश हरदेल : यह मेरी निजी सोच है कि 40 प्रतिशत लोग अच्छे संगीत को सुनकर ही फिल्म देखने आते हैं। ऐसी बहुत सी फिल्में है जिनके गाने ही उस फिल्म की सफलता का कारण बने हैं।
एकान्त चौहान : बतौर हीरो, आपको सुन सुन मया के धुन में काम करना कैसा लगा?
ज्ञानेश हरदेल : किसी भी मूवी में हीरो बनना अच्छा ही लगता है लेकिन पर्दे के पीछे हर हीरो को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। मैंने भी इस फिल्म के लिए काफी मेहनत की। खासकर, कुछ सीन्स और गाने के लिए मुझे अपना वजन तक कम-ज्यादा करना पड़ा, जो मेरे लिए चैैलेंजिंग था। सुन सुन मया के धुन में काम करके मुझे बहुत ही अच्छा लगा। इसके साथ मैंने फिल्म में कई Dimension पर काम किया है।
एकान्त चौहान : क्या आपको ये लगता है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मों को दर्शक नहीं मिलते?
ज्ञानेश हरदेल : नहीं, ऐसा बिल्कुल भी नही है हमारे यहाँ जब दर्शकों के टेस्ट की मूवी बनती है तो अपार भीड़ लग जाती है भीड़ संभाले नही संभालती। और जो मूवी नहीं चलती है इसका मतलब साफ है कि दर्शकों के स्वाद की मूवी नहीं परोसी गई है।
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