Rajni Rajak

CGFilm.in हर व्यक्ति में कुछ न कुछ कला होती है, जरूरत होती है, उसे पहचाने-समझने की और वक्त के दायरे में रहकर निखारने की। संगीत जीवन की साज है, जो हमें उदासी के अंधेरों से निकालकर खुशियों के चौखट तक पहुंचाती है। कुछ गुनगुनाने से हृदय की हर तार झँकृत हो जाती है और हमें सुनहरे भविष्य की ओर ले जाती है।उक्त बातें राजिम माघी पुन्नी मेला मीडिया सेंटर में भेंटवार्ता के लिए पहुँची छतीसगढ़ की प्रसिद्ध गायिका रजनी रजक अपने अनुभव सांझा करते हुए कही। गायिका और उद्घोषिका के रूप में कई संस्थाओं द्वारा सम्मनित हुई हैं। गुरु पिता जे.पी. रजक है। जिन्होंने मुझे बचपन से संगीत की शिक्षा दी है और इस मुकाम में पहुँचने में मदद की है। आदर्श छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध साहित्यकार स्व. दानेश्वर शर्मा हैं।सफलता यूँ ही नहीं मिलती…इस क्षेत्र में आने की वजह साझा करते हुए बताया कि सफलता यूँ ही नही मिलती संघर्ष की भट्टी में जलना पड़ता है। बचपन में स्कूल में एक गीत दो एकम दो, को लयबद्ध पढ़ाया जाता था।

मैंनें सोचा कला तो सबमें होती है, लेकिन कुछ अलग करने की चाहत मन में उठी और इस तरह प्रेम गाथा का वर्णन करने लगी।ये चैती सुन ऐति, जाबो उतै के बाजार ने दिलाई पहचानये चैती सुन ऐति, जाबो उतै के बाजार गायन से लोकगायिका के रूप में पहचान मिली। माता कौशल्या के धरती हवय राम के वो महतारी राजा दशरथ के पटरानी भानुमंत के बेटी हावे, इन पंक्तियों को सुंदर अंदाज गाकर बताया।ढोला मारू एक प्रेम गाथाभिलाई मेरा कर्म भूमि है, इस्पात की नगरी में मेरा जन्म हुआ। वहीं पढ़ी लिखी और बड़ी हुई। जहाँ की मिट्टी से मुझे लगाव है, जो रग-रग में रची बसी है। ढोला मारू एक प्रेम गाथा, लोककला है, जिसमे गीत संगीत का सुंदर संगम है। इसमें प्रेम की मार्मिक कहानी है, नारी प्रधान गीत है। जिसमे सात दिन खंड हैं। छत्तीसगढ़ी में रूपांतरण किया गया।लोककला के 36 धुन लेकर एक संगीत तैयारहमनें लोककला के 36 धुन लेकर एक संगीत तैयार किया। शिविर लगाकर हम अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाने का काम कर हैं। छत्तीसगढ़ की बोली भाषा में मिठास है। जो दमदार होथे वोही उदार होथे, भूपेश सरकार का बहुत आभार सभी कलाकारो की तरफ से जिन्होंने हमें इतना सम्मान दिया है।हर जगह नारी का सम्मान होना चाहिएनारी प्रधान गीत पर कहा कि हर जगह नारी का सम्मान होना चाहिये। सृजन के बल पर नारी सृष्टि की रचना करती है

। प्यार की वो प्रतिमूर्ति है, नारी को आगे बढऩे का मौका मिलना चाहिये। आज नारी सशक्तिकरण की दिशा में आगे बढ़ रही है। उसके लिए हर अवसर एक चनौती है। दिल्ली में महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के करकमलों से मुझे नारी शक्ति सम्मान मिला, जो छत्तीसगढ़ की सभी नारी जाति का सम्मान है।बेटी ल बचावव, पढ़ाई लिखाई ल कराववअंगना में तुलसी के चैरा बनाके रखाव दाई-ददा ल वृद्धालय झन भेजव। नये बेच के कलाकरों को भी इस गायन को सीखा रही है, जिससे यह कला आगे बढ़े और उन्हें भी आगे बढऩे का मौका मिले। इसे आने वाली पीढ़ी को हस्तांतरित करने का सिलसिला चलता रहे। कभी रुके नही मेरी हार्दिक इच्छा है। श्रीलंका, असम, शिमला, दिल्ली, भोपाल में प्रस्तुति कर चुकी है। राजिम माघी पुन्नी मेला में पहले की अपेक्षा इस वर्ष कुछ नयापन देखने को मिला। लेजर शो बहुत ही शानदार लगाए है, जिसमे छत्तीसगढ़ को योजनाओं को दर्शाया जा रहा है। सभी को संदेश देते हुए कहा की जीवन को गढऩे के लिए शिक्षा जरूरी है।