gopichand

CGfilm.in गोपीचंद के भजन राजा भरथरी की कहानी का एक पात्र है, जिसके जीवनी पर ये भजन गाया जाता है। दानीराम बंजारे ने बताया कि उन्होंने 30 साल की उम्र से गोपीचंद भजन गाने की बात की, वे अपना गुरू पंडित सहदेव को मानते है। जिनसे ये कला उन्हें विरासत में मिली है। राजिम माघी पुन्नी मेला के मुख्यमंच पर रविवार को दानीराम बंजारे ने गोपीचंद भजनों की प्रस्तुति दी। मीडिया सेंटर में चर्चा करते हुए उन्होंने गोपीचंद भजनों के विभिन्न विषयों पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने अब तक छत्तीसगढ़ के कई प्रमुख आयोजनों अपनी प्रस्तुति दे चुके हंै। उनके साथ उनकी सहगायिका श्रीमती जानकी बंजारे ने बताया कि वे इस पात्र में मां की भूमिका से संबंधित गानों को गाती है। उन्होंने बताया कि हाल ही में हुए कोरोना संक्रमण की महमारी पर केन्द्रित गीत भी लिखे है। उनके लिखें गीतों को दर्शकों ने काफी सराहा।

कक्षा छठवीं तक पढ़े हैं दानीराम बंजारेकक्षा छठवीं तक पढ़े दानीराम बंजारे पारिवारिक परिस्थितियों के कारण अपनी आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख पाये, जिसका उन्हें आज तक मलाल है। वे कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के पारंपरिक वाद्ययंत्र झुमका, नॉल, बेंजो, हारमोनियम, तबला जैसे वाद्ययंत्रों का प्रयोग करते हैं।गोपीचंद भजनों के एकमात्र गायकउनके अनुसार वे छत्तीसगढ़ के एकमात्र ऐसे कलाकार है, जो गोपीचंद के भजनों की मंच पर प्रस्तुति देते है। उन्हें एक ऐसे शिष्य की तलाश है, जो इस परंपरा को आगे तक ले जा सकें ताकि ये परंपरा भविष्य में लुप्त न हो सके।