छत्तीसगढ़ी फिल्मों का सफर-5
एकान्त चौहान CGFilm.in)। मोर छईयां भुईयां के बाद आई बहुत सी छत्तीसगढ़ी फिल्मों ने भी अपना जलवा बिखेरा। इसमें मुख्यत: मयारू भौजी, मया दे दे मया ले ले, झन भूलव मां-बाप ला और मया, परदेसी के मया, तोर मया के मारे, टूरा रिक्शा वाला और लैला टिप टाप छैला अंगूठा छाप, रघुबीर, तीजा के लुगरा, भांवर, मया दे दे मयारू, महूं दीवाना तहूं दीवानी और राजा छत्तीसगढिय़ा, बीए फस्र्ट ईयर, बीए सेकेंड ईयर, हंस झन पगली फंस जाबे जैसी फिल्में शामिल हैं। इनमें से भी कई फिल्मों ने तो 100 दिन प्रदर्शन का रिकार्ड बनाया है।छत्तीसगढ़ी फिल्मों का सफर-5


इतना जरूर है कि इस दौरान कई छत्तीसगढ़ी फिल्में उतना दर्शकों की नजर में उतना खरा नहीं उतर पाई, जितनी उम्मीद थी। तो दर्शकों की कमी होने की बात भी सामने आने लगी है। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। एक के बाद एक आ रही छत्तीसगढ़ी फिल्मों ने ये साबित कर दिया कि यदि फिल्में दर्शकों की डिमांड के अनुरूप बनी है और कहानी में कुछ नवीनता हो तो निसंदेह छत्तीसगढ़ी फिल्मों का भी एक बड़ा दर्शक वर्ग है। जो फिल्में देखना चाहता है। लिहाजा, आज बन रही छत्तीसगढ़ी फिल्मों में कई सारे प्रयोग होने लगे हैं, जो दर्शकों को पसंद आ रहे हैं और धीरे-धीरे छत्तीसगढ़ी फिल्मों का निर्माण और प्रदर्शन भी तेजी से होने लगा है।

इंटरनेट पर कमाल दिखा रहे वीडियो सांग

इतना ही नहीं एक के बाद लगाातर छत्तीसगढ़ी वीडियो सांग भी यू-ट्यूब पर कमाल दिखा रहे हैं। तभी तो इनके व्यूर्स लाखों तक पहुंच रहे हैं। ये इस बात को पुख्ता करते हैं कि छत्तीसगढ़ी फिल्म और वीडियो सांग दर्शकों की पसंद बने हुए हैं, बशर्ते वो दर्शकों तक पहुंचे। आज यू-ट्यूब पर छत्तीसगढ़ी में वेबसीरिज, वीडियो सांग और कई शार्ट मूवी के साथ ही कॉमेडी मूवी भी मौजूद हैं, जिसे दर्शकों का जबरदस्त रिस्पांस मिल रहा है। कुल मिलाकर देखा जाए तो आने वाले समय में छत्तीसगढ़ी फिल्मों के निर्माण में और तेजी आने की उम्मीद है। (क्रमश:)